अनोखा श्री पार्थसारथी मंदिर: महाभारत और मूंछों वाले श्रीकृष्ण का रहस्य
भारत का प्राचीन इतिहास और संस्कृति अनेक कहानियों से भरी हुई है। इन्हीं कहानियों में एक अद्भुत कहानी जुड़ी है तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित 1300 साल पुराने श्री पार्थसारथी पेरुमल मंदिर से, जहां श्रीकृष्ण को एक अनोखे रूप में पूजा जाता है - मूंछों वाले श्रीकृष्ण के रूप में।
मंदिर का निर्माण और महत्व
श्री पार्थसारथी पेरुमल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में पल्लव वंश के राजाओं द्वारा किया गया था। इस मंदिर में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को समर्पित मूर्तियां हैं, लेकिन खास बात यह है कि यहां श्रीकृष्ण को 'पार्थसारथी' के रूप में दर्शाया गया है। मूंछों के साथ उनका यह रूप महाभारत में अर्जुन के सारथी के रूप में उनके योगदान को दर्शाता है।
महाभारत से जुड़ी विशेषताएं
यह मंदिर केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए ही नहीं, बल्कि महाभारत के ऐतिहासिक संदर्भों के लिए भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस मंदिर में महाभारत काल के कई रहस्य छिपे हुए हैं। श्रीकृष्ण का यह रूप अपने अनुयायियों को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक अनूठा दृष्टिकोण देता है।
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के अनुभव
जो भी भक्त इस मंदिर में आते हैं, वे भगवान कृष्ण के इस अनोखे रूप को देखकर अभिभूत हो जाते हैं। श्रीकृष्ण की मूंछों वाली प्रतिमा उन्हें महाभारत के उस ऐतिहासिक समय से जोड़ देती है जब उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अर्जुन का साथ दिया था।
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