सिक्किम की टैक्स-फ्री स्थिति का इतिहास और कारण
सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां के नागरिकों को आयकर चुकाने की आवश्यकता नहीं है, चाहे उनकी आय कितनी भी हो। यह विशेष छूट 1975 के विलय समझौते और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371(F) के तहत दी गई है। इसके अलावा, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(26AAA) इस छूट को कानूनी मान्यता प्रदान करती है।
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कौन लाभ उठा सकता है?
सिक्किम के मूल निवासी, जिनका नाम "सिक्किम सब्जेक्ट रजिस्टर" में दर्ज है।
यह छूट सिक्किम के ऐतिहासिक नियमों और 1961 के कानूनों के कारण लागू की गई थी।
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वित्तीय और आर्थिक लाभ
सिक्किम के नागरिकों को आयकर से छूट मिलने से उनके पास आर्थिक स्थिरता बढ़ती है। इस नीतिगत लाभ ने राज्य में:
स्थानीय निवेश और व्यवसायों को बढ़ावा दिया।
राज्य को एक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर क्षेत्र बनाया।
यह स्थिति सिक्किम को अन्य राज्यों के मुकाबले अनोखा बनाती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाती है।
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अन्य टैक्स-फ्री श्रेणियां (भारत के संदर्भ में)
कृषि आय
एनआरई खाता ब्याज
छात्रवृत्तियां
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क्यों है यह अनुकरणीय?
सिक्किम का टैक्स-फ्री दर्जा यह दर्शाता है कि किस तरह विशेष नीतियां राज्य के नागरिकों के जीवन को बेहतर बना सकती हैं। साथ ही, यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल है।
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